Mass Communication as a Career
Media and means of mass media have been rapidly developing and expanding in the present age. The entire world, which has come under the sway of information revolution, has been transformed into a global village. Information, education and entertainment are, whenever required, instantly available through newspapers, magazines, radio, television, internet and films. Several newspapers as well as their new editions and magazines have regularly been coming into being with an increase in the number of their readership. The electronic media, surging forward, has also covered a long way in its journey of development in the realm of news and information. With the passage of time, number, role, range and scope of print media, radio and television channels have consistently been expanding and new records are being set up regularly by projection of communication satellites (DTH, HD, 4K). Evidently, the advertising industry and the corporate mass communication enterprises have been improving their engagements with their audience and they have been successful in improving their accessibility for common people.
The concept of mass communication has virtually begun to assume a concrete shape in the real sense of the term. The issues raised by the media attract the attention of various governments. Besides, research initiatives on some of the issues concerning media studies are also emerging. The social scientists believe that journalists and specialists of mass communication, who take intensive interests in social issues, would win wide recognition throughout the world in the coming days. Our country has proved its strength and importance among the developing nations of the world and has also occupied a notable place in the field of communication. In fact, India’s mass media are the most progressive among the mass media of all other democratic nations and they can favourably be compared with the best in the world.
The comprehensive scope and continuous evolution of this branch of knowledge has necessitated an urgent need for a methodical system of higher studies in journalism and mass communication. With a view to achieving these objectives the Department of Journalism and Mass Communication of Ranchi University, Ranchi was established in 1987. In addition to the services of the faculty of the department, those of the eminent journalists and specialists of the subject are made available to the students for imparting both theoretical and practical knowledge on the subject. There is a well established library in the department catering to the need of the students.
M.A. in Mass Communication
Eligibility
Bachelor’s degree (three-year degree course) in any discipline with at least 45% marks. The applicants can have Arts, Commerce, Science, and Engineering, Medical or any other equivalent degree from a recognized University. The candidate shall have to fill up an application form obtainable from the of Journalism and Mass Communication on payment of Rs. 500 (Five hundred only) in cash at the counter or through D.D. payable at Ranchi in favour of Director, Dept. of Journalism, R.U., Ranchi. Outstation candidates may send a DD for 550/- (Five hundred fifty only) for the purpose.
Seats
The number of seats is limited to 75 (seventy five) only.
Medium of Instruction
The medium of teaching is both Hindi and english as far as practicable.
Curriculum overview
The courses for the Degree of M.A. in Mass Communication shall extend over a period of two academic years, divided into four semesters.
N.B. Detailed courses of study can be obtained from the office of the Department. All subjects shall be evaluated on 100 marks.
Fee Structure
Semester | General OBC Category | ST/SC Category |
Semester l(Admission with Course Fee) | Rs. 14,000.00 | Rs. 12,000.00 |
Semester ll | Rs. 12,000.00 | Rs. 10,000.00 |
Semester lll | Rs. 12,000.00 | Rs. 10,000.00 |
Semester IV | Rs. 12,000.00 | Rs. 10,000.00 |
कैरियर के रूप में जनसंचार
वर्तमान युग में मीडिया और जनसंचार माध्यमों का विस्तार तेजी से हो रहा है। समूचा विश्व सूचना क्रांति के प्रभाव में है और वैश्विक गाँव में परिवर्तित हो चुका है। आवश्यकता होते ही रेडियो, टेलीविजन,समाचार पत्र-पत्रिकायें और फिल्मों के माध्यम से सूचना, शिक्षा, मनोरंजन और इंटरनेट उपलब्ध हो जाते हैं। हमारा देश इसमें अपवाद नहीं है। वास्तव में सभी विकासशील देशों में भारतीय मास मीडिया अत्यंत प्रगतिवादी है। विश्व के किसी भी मीडिया के सर्वोत्तम कार्यकलापों की चर्चा हो तो अपने देश की मीडिया का उदाहरण दिया जाता है।
संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण से नित नये कीर्तिमान (DTH,HD,4K) स्थापित किये जा रहे हैं। संचार क्षेत्र में नित नये विकास क्रम ने पत्रकारिता एवं जनसंचार के क्षेत्र में उच्चतर शिक्षा की जरूरतें उत्पन्न की है। जिस तरह लगातार आर्थिक विकास की सीढियाँ तय करते हुये हमारा देश विकसित राष्ट्रों के बीच अपनी महत्ता साबित कर चुका है , उसी तरह संचार के क्षेत्र में भी हम अहम् मुकाम हासिल कर रहे हैं। पत्रकारिता एवं जनसंचार में इस व्यापक दायरे को समेटते हुये मीडिया की विधिवत् शिक्षा की आवश्यकता महसूस होती रही है।
21वीं सदी में संचार उद्योग का तीव्र गति से विकास व विस्तार हुआ है। कई नये समाचार – पत्र और पत्रिकायें प्रकाशित की जा रही हैं और कई समाचार-पत्रों के नित नये संस्करण प्रकाशित किये जा रहे हैं। पाठकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी समाचार और सूचना के क्षेत्र में लंबा रास्ता तय कर लिया है। प्रिंट मीडिया के साथ-साथ रेडियो और टेलीविजन चैनलों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। ये अपना दायरा भी बढा रहे हैं। विज्ञापन उद्योग और कॉरपोरेट जनसंचार उद्यमों में यह देखा जा रहा है कि अब इनकी कार्यप्रणाली बहुत ही वैज्ञानिक हो गयी है और ये आमजन तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। वस्तुतः जनसंचार का वास्तविक अर्थ भी यही है। मीडिया के द्वारा उठाये गये मुद्दों पर सरकारें ध्यान देती हैं, कुछ मुद्दों पर शोध भी किये जा रहे हैं। समाज विज्ञानियों का मानना है कि सामाजिक मुद्दों में गहन रूचि रखने वाले पत्रकारों और जनसंचार को आगामी दिनों में व्यापक मान्यता मिलेंगी।
उपरोक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु 1987 में स्थापित पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, राँची विश्वविद्यालय, राँची में विद्यार्थियों के शिक्षण प्रशिक्षण के लिये निरन्तर प्रयासरत् है। विभाग में प्राध्यापकों के अतिरिक्त लब्धप्रतिष्ठित पत्रकारों एवं विषय विशेषज्ञों की सेवायें ली जाती हैं। विद्यार्थियों के उपयोग के लिये कम्प्यूटर लैब की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही विद्यार्थियों के समुचित प्रशिक्षण के लिये वीडियो-स्टूडियो उपलब्ध है, जहाँ वे समाचार पत्र-पत्रिका, वीडियो रिकॉर्डिंग, वीडियो एडिटिंग का प्रायोगिक अनुभव प्राप्त करते हैं। विभाग में एक समृद्ध पुस्तकालय भी है जहां विद्यार्थियों के जरूरत की पुस्तकें उपलब्ध हैं।
पाठ्यक्रम की अवधि:
स्नातकोत्तर कला जनसंचार सीबीसीएस पाठ्यक्रम की अवधि दो वर्ष (चार सेमेस्टरों में विभाजित) है
नामांकन विधि :
- विद्यार्थी जिन्होंने अपने विषय में प्रतिष्ठा सहित उत्तीर्णता प्राप्त की है, या 10+2+3 का पाठ्यक्रम कम से कम 45 प्रतिशत अंक सहित पूरा किया है, वे नामांकन की अर्हता रखते हैं। जिन विद्यार्थियों का परीक्षाफल प्रकाशित नहीं हुआ है, यदि वे नामांकन चाहते हैं, तो उन्हे प्रवेश तिथि तक अपना अंक-पत्र जमा करना होगा।
- प्रवेश हेतु विद्यार्थियों की मौखिकी का प्रावधान है। मौखिकी में सफल विद्यार्थी ही नामांकन के योग्य माने जायेंगे। मौखिकी में समसामयिक संदर्भों से संबंद्ध प्रश्न पूछे जायेंगे।
- आरक्षण : राँची विश्वविद्यालय द्वारा विहित परिनियमों के निर्वाह का प्रावधान है।
माध्यम:
हिन्दी तथा अंग्रेजी
शुल्क
सेमेस्टर | सामान्य वर्ग | अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति |
सेमेस्टर I(नामांकन सहित पाठ्यक्रम शुल्क) | Rs. 14.000.00 | Rs. 12,000.00 |
सेमेस्टर II | Rs. 12,000.00 | Rs. 10,000.00 |
सेमेस्टर III | Rs. 12,000.00 | Rs. 10,000.00 |
सेमेस्टर IV | Rs. 12,000.00 | Rs. 10,000.00 |